' ' '' कितने दिनों में हम लोग वहाँ पहुँचेंगे? '' '' अनुकूल पवन मिलने पर दो दिन में।
3.
जो मनुष्य ऐसी नौका, ऐसे सुकानी और ऐसा अनुकूल पवन के होते हुए भी भवसागर पार करने का पुरुषार्थ नहीं करता वह सचमुच आत्मघाती है।
4.
अरे ध्यान से देखो-यह अनुकूलता का भी लय बध्ध ताल ही है | जब अनुकूल पवन चलता है तब हमारा सभी कम बड़ी आसानी से होता रहता है.
5.
* भगवान नारायण की प्रेयसी लक्ष्मी का नेत्र रूपी मेघ दयारूपी अनुकूल पवन से प्रेरित हो दुष्कर्म (धनागम विरोधी अशुभ प्रारब्ध) रूपी धाम को चिरकाल के लिए दूर हटाकर विषाद रूपी धर्मजन्य ताप से पीड़ित मुझ दीन रूपी चातक पर धनरूपी जलधारा की वृष्टि करे।।
6.
* भगवान नारायण की प्रेयसी लक्ष्मी का नेत्र रूपी मेघ दयारूपी अनुकूल पवन से प्रेरित हो दुष्कर्म (धनागम विरोधी अशुभ प्रारब्ध) रूपी धाम को चिरकाल के लिए दूर हटाकर विषाद रूपी धर्मजन्य ताप से पीड़ित मुझ दीन रूपी चातक पर धनरूपी जलधारा की वृष्टि करे।।